गणगौर पूजा एक प्रमुख हिन्दू त्यौहार है, जिसे विशेष तौर पर भारत के राजस्थान, मध्य प्रदेश, और गुजरात जैसे राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणगौर का त्यौहार खासकर महिलाओं द्वारा अमर सुहाग और सुयोग्य वर के लिए किया जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की ईसर-गणगौर के स्वरुप में पूजा का विधान है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा कई सुंदर लोकगीत और दोहे गाए जाते हैं, जो हमारी पारंपरिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
गणगौर पर्व के आखिरी दिन, यानी चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन 16 दिवसीय पूजा का समापन होता है। इस अवसर पर विशेष रूप से गणगौर माता के गीत और दोहे गाए जाते हैं। इन लोकगीतों के बिना गणगौर की पूजा अधूरी मानी जाती है। तो अपनी गणगौर पूजा को और भी खास बनाने के लिए, यहां दिए गए कुछ लोकप्रिय गणगौर गीत (Gangaur ke famous geet) और दोहों को ज़रूर पढे-
2. खेलन दयो गणगौर
3. बड़ीवाला बड़ी खोल
4. जी म्हे हिन्दो घाल्यो
5. अनचो चावरो चोकुंटो
6. लाड बहुआ ने चुनडली
7. ओ कुन ऐ गोरो दाल मरोडो
8. ईसरदासजी के सोहे पीली पगड़ी
9. तिकि लयज्यो हीरा पन्ना जड़ी
10. या टिकी बाई गोरां दे रे सोहे
11. हां रे बिकाने रा घाट सुघट
12. म्हारा हरया ऐ जावरा
13. ईसरदासजी बागो को
14. ईसरदासजी रो कांगसियो
15. खींपोली म्हारी खींपा छाई
16. म्हारी गोर तिसाई ओ राज
18. म्हारा माथ न मैमद ल्यावो
19. ऐ मोती समदरियो में निपजे
20. आज म्हारे गौर बनोरो निसरयो