देवउठनी एकादशी के साथ ही देश में वेडिंग सीजन एक बार फिर से शुरू हो गया है। इस दौरान बहुत से ऐसे कपल्स है जो चाहते हैं कि उनका लव रिलेशनशिप परिवार से स्वीकृति प्राप्त कर शादी तक पहुंचे। हालांकि कभी-कभी कुछ ग्रह दशा के चलते प्रेम करने वाले अपने रिश्ते को शादी तक नहीं ले जा पाते हैं। वहीं कुछ भाग्यशाली कपल्स ऐसे भी होते हैं, जिनकी कुंडली में ग्रहों की अनुकूल स्थिति होती है, जो उनके लव मैरिज को संभव बनाती है।
ऐसे में आज के ब्लॉग में हम जानेंगे की वह कौन से संकेत हैं, जो कुंडली (Love marriage in Kundli) में लव मैरिज के योग बनाते हैं, तो आइए जानते है-
यदि कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह का एक साथ योग बन रहा हो, या ये दोनों ग्रह एक-दूसरे की राशि में स्थित हों, तो पंचम और नवम भाव में दृष्टि का संयोग लव मैरिज के योग को जन्म देता है। ऐसी स्थिति में, दोनों का विवाह बिना किसी रुकावट या परेशानी के सफलतापूर्वक संपन्न होता है। जिसके बाद नव दंपत्ति सुख और समृद्धि के साथ अपना आने वाला जीवन व्यतीत करते हैं।
एस्ट्रोलॉजी की एक अन्य मान्यता के अनुसार जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह को शनि या राहु से पूरी दृष्टि मिल रही हो, या फिर ये ग्रह शुक्र के साथ एक ही स्थान पर स्थित हों, तो ऐसी स्थिति लव मैरिज के योग (love marriage yog in kundali) प्रबल है। हालांकि कुछ परिस्थितियों में इस प्रकार की ग्रह दशा के चलते शुरुआत में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन कुछ ही समय में आपके समस्त परिवार जन रिश्ते को स्वीकार कर लेते हैं और भविष्य में कपल के संबंध में कोई रुकावट नहीं आती है।
शास्त्रों के अनुसार, कुंडली में चंद्र ग्रह का लग्न भाव से संबंध या फिर चंद्र का स्वामी सप्तम भाव से संबंध यदि हो तो, ऐसे व्यक्ति की लव मैरिज (love marriage chances in kundali) के योग मजबूत होते हैं। इसके अतिरिक्त, यदि पंचम भाव में शुक्र और चंद्र ग्रह का संयोग बन रहा हो, और पंचमेश का भी शुक्र या चंद्र से संबंध हो, तो ऐसी स्थिति में लव मैरिज की संभावना अधिक होती है।
यदि कुंडली में पंचम, सप्तम और एकादश भाव के स्वामी आपस में जुड़े हों, तो ऐसे जातक की लव मैरिज (chances of love marriage in kundali) बिना किसी रुकावट के सफल होती है। इतना ही नहीं दोनों के बीच प्रेम और सामंजस्य भी बना रहता है। इतना ही नहीं, यदि पंचमेश और सप्तमेश एक साथ स्थित हों, या एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हों, तो भी यह लव मैरिज होने की प्रबल संभावना को दर्शाते है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में शुक्र या गुरु ग्रह लग्न से पंचम या नवम भाव में स्थित हों, तो यह प्रेम विवाह के योग को मजबूत बनाता है। माना जाता है की ऐसी स्थिति में प्रेम संबंध सच्चे और निस्वार्थ भाव के होते हैं, जिसके चलते दोनों के बीच गहरी समझ होती है। इसके अलावा, अगर पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव से जुड़ा हो, या सप्तम भाव का स्वामी पंचम भाव से, तो यह भी लव मैरिज के स्पष्ट संकेत देता है।
Buy Shighra Vivah Yantraइन सभी योगों के साथ ही ज्योतिशास्त्र में जल्द शादी के लिए एक विशेष यंत्र का उल्लेख किया गया हैं। इस यंत्र को शीघ्र विवाह यंत्र (Shighra Vivah Yantra) के नाम से जाना जाता है। माना जाता है की शीघ्र विवाह यंत्र के नियमित पूजन से न केवल विवाह संबंधी सभी बाधाएं दूर होती है बल्कि यह विवाह प्रक्रिया को आसान बनाने में भी कल्याणकारक साबित होता है।
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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