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अयोध्या में इस नक्षत्र में विराजेंगे रामलला, जानें क्या है नक्षत्र से जुड़ा धार्मिक कारण व महत्व

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अब वह घड़ी आने में बस कुछ ही समय शेष है, जिसका हर सनातनी को बेसब्री से इंतज़ार था। जनवरी 2024 में श्री राम लला अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होंगे। हिंदू कैलेंडर के ग्रहों और नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुए, मंदिर के उद्घाटन की तारीख से प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त तक प्रत्येक अनुष्ठान का समय निर्धारित किया गया था।

अयोध्या में इस नक्षत्र में विराजेंगे रामलला, जानें क्या है नक्षत्र से जुड़ा धार्मिक कारण व महत्व

श्री राम लला 22 जनवरी 2024 को अयोध्याm में विराजमान होने जा रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के यजमान होंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अभियान को चार चरणों में विभाजित किया गया है और इसकी योजना भी जारी की गई है।

आपको बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12:20 बजे अभिजीत मुहूर्त व मृगशिरा (Ram Mandir Pran Pratisha Muhurat 2024) नक्षत्र में होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए आखिर इस विशेष मुहूर्त और नक्षत्र का ही चयन क्यों किया गया ? यदि नहीं तो आज का ब्लॉग अंत तक अवश्य पढ़ें-


प्राण प्रतिष्ठा के लिए मृगषिरा नक्षत्र ही क्यों?

• ज्योतिशास्त्र के अनुसार, मृगषिरा या मृगशीर्ष नक्षत्र में रामलला की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जा रहा है. इसके साथ ही इस मुहूर्त में किये जाने वाले सभी शुभ कार्य आने वाले समय में सुख समृद्धि प्रदान करेंगे।

• धर्म शास्त्रों में मृगशिरा नक्षत्र को कृषि कार्यों, व्यापारिक यात्राओं और अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए सर्वोत्तम प्रतीक माना जाता है। चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए इस शुभ घड़ी में रामलला के अभिषेक से देश और भारत के विकास को लाभ होगा।

• इसके अलावा इस मुहूर्त का लग्न भी किसी भी दोष से मुक्त होता है और इसमें कोई निषेध नहीं पाया जाता है। निषेध का अर्थ है बाधाएँ। शास्त्रों में रोग, अग्नि, शक्ति, चोर और मृत्यु सहित पांच प्रकार की बाधाओं का उल्लेख किया गया है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ काल में एक भी अवरोध नहीं है।


22 जनवरी 2024 को बनेगा ये अद्भुत संयोग

• हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सोमवार, 22 जनवरी 2024 (Ram Mandir Pran Pratisha 2024) को पौष माह के शुक्ल पक्ष की कूर्म द्वादशी है। कुर्म द्वादशी का यह व्रत श्रीमन नारायण को समर्पित है।

• विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने कूर्म अर्थात कछुए के रूप में अवतरण लिया था। जिसने समुद्र मंथन में मदद की थी। भगवान विष्णुि कच्छप अवतार में अवतरित होकर अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को रखा, जिसके बाद ही समुद्र मंथन किया गया था।

• इस प्रकार कच्छप की आकृति स्थिरता का प्रतीक मानी जाती है। कूर्म द्वादशी के दिन राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से मंदिर को सदियों तक स्थायित्व प्रदान होगा है। इसके साथ ही उनकी प्रसिद्धि पूरी दुनिया में फैलेगी।


अयोध्या मंदिर के 3000 पुजारियों के आवेदन?

अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के पुजारी पद के लिए करीब 3,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है. यह पोस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा विज्ञापित है। ट्रस्ट ने साक्षात्कार में उनकी योग्यता के आधार पर 200 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया।

यह साक्षात्कार मंदिर शहर कारसेवकपुरम में आयोजित किया गया है। तीन सदस्यीय साक्षात्कार पैनल में वृन्दावन के एक हिंदू उपदेशक जयकांत मिश्रा और अयोध्या (Ram Mandir Pran Pratisha 2024) के दो महंत मिथिलेश नंदिनी शरण और सतीनारायण दास शामिल हैं।

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