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Anant Chaturdashi 2025: कब है अनंत चतुर्दशी? जानें गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त और सम्पूर्ण पूजा विधि!

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गणेश चतुर्थी के दिन बड़े विधि विधान से घरों और पंडालों में बप्पा का स्वागत किया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाला यह भव्य उत्सव अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होता है। इस दिन सड़कों पर गाजे बाजे के साथ 'गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया' का जाप करते हुए भक्त नदियों, सरोवरों या तालाबों में मूर्ति का विसर्जन करते हैं। यह त्यौहार भारत के कई हिस्सों, विशेषकर महाराष्ट्र और गुजरात में बहुत उत्साह और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है।

Anant Chaturdashi 2025: कब है अनंत चतुर्दशी? जानें गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त और सम्पूर्ण पूजा विधि!

Anant Chaturdashi 2025 : कब मनाया जाता है अनंत चतुर्दशी का पर्व?

अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2025) एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है। यह हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव के अंत का प्रतीक है। गणेश उत्सव के इस आखिरी दिन, भक्त विधिपूर्वक गणेश विसर्जन के साथ बप्पा को विदाई देते हैं। तो आइए जानते है, इस साल कब मनाया जाएगा अनंत चतुर्दशी का पर्व और गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त-


Anant Chaturdashi 2025 Date : अनंत चतुर्दशी 2025 तिथि

दैनिक पचांग के अनुसार, इस साल अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का पूजन 6 सितंबर (Ganesh Visarjan shubh muhurat) को संपन्न किया जाएगा। इस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 6 सितंबर, 2025 को सुबह 3:12 बजे शुरू होगी। वही इसका समापन 7 सितंबर को रात 1:41 बजे समाप्त होगी। इसी दिन विधिपूर्वक गणेश विसर्जन भी किया जाएगा।


Anant Chaturdashi Ganpati Visarjan Muhurat | अनंत चतुर्दशी गणपति विसर्जन मुहूर्त

6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के लिए 5 शुभ मुहूर्त (ganesh visarjan 2025 muhurat) बताए जा रहे हैं, यह शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-

प्रातःकाल का मुहूर्त प्रातः 07:36 से 09:10 बजे तक
दोपहर का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) दोपहर 12:19 PM से शाम 05:02 तक
शाम का मुहूर्त (लाभ) शाम 06:37 बजे से रात 08:02 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) रात्रि 09:28 PM से 01:45 AM तक
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) 07 सितम्बर, प्रातः 04:36 AM से 06:02 AM

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Anant Chaturdashi Significance : अनंत चतुर्दशी का महत्व

• इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति को घर या पंडाल से विसर्जन के लिए ले जाने से पहले, भक्त आरती करते हैं और फिर विसर्जन से ठीक पहले बप्पा की पूजा करते हैं। इसके बाद, अगले साल गणपति बप्पा के लौटने की उम्मीद और विश्वास के साथ विसर्जन करते हैं।

• अनंत चतुर्दशी के दिन, भगवान गणेश की मूर्तियों को समुद्र, तालाब जैसे जल स्रोतों में विसर्जित किया जाता है। इस दिन, भगवान गणेश की मूर्तियों को ढोल और गाजे-बाजे के साथ भगवान गणेश की विशेष शोभा यात्रा निकली जाती है। भक्तगण अपार उत्साह के बीच 'गणपति बप्पा मोरया' और गणपति बप्पा की जय' जैसे नारों से सारा माहौल जीवंत हो उठता हैं।

• गणपति विसर्जन के साथ ही इस दिन का महत्त्व भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ा है। भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। वह अनंत रूप में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर अनंत व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को खोया हुआ राज्य और प्रतिष्ठा वापस मिली थी।


Ganpati Visajan Vidhi : अनंत चतुर्दशी गणपति विसर्जन विधि

1. विसर्जन के दिन, पूरा परिवार एकत्रित हो जाए और गणपती जी के मंत्रो का जाप करें। फिर पूजन विधि प्रारंभ करें।

2. अब धूप, दीप, पुष्प, गंध और नैवेद्य अर्पित करें। बप्पा को उनके पसंदीदा मोदक और लड्डू का भोग लगाएं।

3. इसके बाद, गणपती जी की आरती करें। भगवान गणेश को घर आने के लिए धन्यवाद दें और पूजन के दौरान की गई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।

4. फिर बप्पा को चौकी से उठाएं हल्के से हिलाएं।

5. पूजा के आखिर में, परिवार के सदस्य भगवान गणेश पर अक्षत चढ़ाकर उनसे जल्दी लौटने की प्रार्थना करें।

6. बप्पा की सुखद यात्रा के लिए उन्हें दही और चीनी का भोग अर्पित करें। इसके बाद, नारियल, चीनी या गुड़ और अनाज लाल कपड़े में बांधकर बप्पा को दें।

7. अब, परिवार के सदस्य बप्पा से कान में अपनी मनोकामना बोले और उनसे सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

8. फिर, परिवार का पुरुष सदस्य मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाए। अब बप्पा को धीरे से उठाकर उनका मुंह घर की ओर करके उन्हें घर का अंतिम दर्शन कराए।

9. विसर्जन स्थल पर पहुंचने के बाद, एक बार फिर आरती करें और फिर बप्पा को धीरे-धीरे जल में विसर्जित करें।

10. इस बीच, परिवार का एक सदस्य घर पर ही रहे और विसर्जन समाप्त होने तक घर के दरवाज़े खुले रखें।

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