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Basant Panchami 2023: क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्यौहार? जानें तिथि व शुभ समय

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“या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।’’ यह शक्तिशाली मंत्र मां सरस्वती को समर्पित है। इस मंत्र का अर्थ है- जो देवी सभी जीवों में बुद्धि या विद्या के रूप में विराजमान है, उन्हें नमस्कार है, बारंबार नमस्कार है। हिन्दू धर्म देवी सरस्वती को बुध, ज्ञान, विद्या, कला और संगीत प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। बसंत पंचमी का त्यौहार मां सरस्वती को समर्पित है।

Basant Panchami 2023: क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्यौहार? जानें तिथि व शुभ समय

प्रत्येक वर्ष माघ महीने की शुक्ल पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन विधि-विधान से देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है, और उन्हें पीले रंग की वस्तुएं समर्पित की जाती है। ऐसा माना जाता है की पीला रंग मां सरस्वती को अत्याधिक प्रिय होता है। यही कारण है की इस दिन पूजा के समय सभी पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। यह तो हम सभी जानते है की बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण जानते है? आइये जानते है बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाया जाता है और इस साल 2023 में यह पर्व किस दिन मनाया जाएगा।


Basant Panchami 2023 Date & Time | बसंत पंचमी की तिथि व शुभ समय

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल 26 जनवरी 2023 के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सरस्वती पूजा करने के साथ ही अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है-

सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त - 26 जनवरी 2023, सुबह 07:12 AM से 12:34 PM तक
देवी सरस्वती की पूजा की अवधि - 05 घंटे
सर्वार्थ सिद्धि योग - शाम 06:57 PM से अगले दिन 07:12 मिनट तक
रवि योग - शाम 06:57 से अगले दिन सुबह 07:12 मिनट तक

क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी?

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था और यही कारण है कि दिन बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है। यह कथा इस प्रकार से है-

जब सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्माण्ड की संचरना की तो उन्हें जीव-जन्तु, मनुष्य और पेड़-पौधे बनाने के बाद कुछ अधूरा लगा। उन्हें इस बात का आभास हुआ की उनकी रचना में कोई कमी रह गई है। तब ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का। उस जल से चार भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उनकी चारों भुजाओं में वीणा, पुस्तक, माला और वर मुद्रा थे। प्रकट होने के बाद उन देवी ने वीणा बजाई, जिसके बाद ब्रह्मा जी के द्वारा निर्मित सभी चीजों में स्वर आ गया। यह देखने के बाद ब्रह्मा जी उनका नाम सरस्वती रखा और उन्हें वाणी की देवी सम्बोधित किया। भगवान ब्रह्मा के कमंडल से वसंत पंचमी के देवी का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।


बसंत पंचमी के दिन करें ये उपाय-

• यदि आपके दाम्पत्य जीवन में किसी प्रकार की समस्या चल रही है तो इस दिन कामेदव और देवी रति की पूजा करें और पीले रंग के पुष्प अर्पित करें।

विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को इस दिन खास तौर पर मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ नीचे दिए मंत्र का 108 बार जाप करें-

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः'

• यदि आपके घर में कोई लीवर की समस्या से परेशान है तो वसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल बनाएं। इसके बाद मां सरस्वती को भोग लगाएं और उनके बाद प्रसादी के रूप में उसे ग्रहण करें।

• बसंत पंचमी के दिन अपने घर के छोटे बच्चे से हाथ पकड़कर एक स्लेट पर कुछ जरूर लिखवाएं। इसे अक्षराम्भ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा करने से बच्चा शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करेगा।

• बसंत पंचमी के दिन गरीब और ज़रूरतमंद व्यक्तियों को पैन, पेंसिल, कॉपी व पढ़ाई से जुड़ी अन्‍य सभी वस्तुओं का दान करना चाहिए।


इन उपायों के साथ ही आप बसंत पंचमी के दिन सरस्वती चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके साथ पूजा संपन्न करने के बाद देवी सरस्वती की आरती गानी चाहिए।

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