हर साल हिन्दू पचांग के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा को रविदास जयंती का पर्व मनाया जाता है। रविदास की पहचान एक कवि और गीत लेखक के रूप में की जाती है। “भक्ति आंदोलन” के समय पर उनका योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है।
पंद्रहवी सदी के महान गुरु रविदास, एक महान संत होने के साथ ही समाज सुधारक, ईश्वर अनुयायी एवं आध्यात्मिक कवि भी थे। रविदास जयंती इन महान गुरु के जन्म दिवस के तौर पर मनाई जाती है। अपने लेखन के जरिए, रविदास जी ने अनेकों अध्यात्म और समाज से जुड़े संदेश दिए है। "भक्ति आंदलोन" में अपना प्रमुख योगदान देने के बाद, उनके छंदों को सिख धर्म के ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित किया गया है। गुरु रविदास को रैदास और रूहीदास आदि नामों से भी जाना जाता है। आइये अब जानते है, इस साल 2023 में गुरु रविदास की जयंती कब मनाई जाएगी-
माना जाता है, गुरु रविदास जी का जन्म सन 1433 में माघ पूर्णिमा के दिन रविवार को हुआ था। इस बाद उनकी 647वीं जयंती मनाई जाएगी। इस जयंती की तिथि व शुभ समय इस प्रकार है।
रविदास जयन्ती तिथि | रविवार, 5 फरवरी, 2023 |
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ | शनिवार,4 फरवरी, रात्री 09:29 से |
पूर्णिमा तिथि समापन | रविवार, 5 फरवरी, रात्री 11:58 तक |
• रविदास जी की मान्यता सिख धर्म में भी बहुत अधिक बताई जाती है।
• गुरु रविदास के लिखे आध्यात्मिक और सामजिक ग्रंथों ने समाज का मार्गदर्शन किया।
• गुरु रविदास जी ने 'भक्ति-आंदोलन' के समय बढ़-चढ़ के भाग लिया और समाज को एक नई दिशा दी।
• ऐसा माना है कि रविदास जी का जन्म रविवार को होने के कारण ही इन्हें रविदास के नाम से जाना जाता है।
• रविदास जी का जन्म यूपी के काशी नगरी में हुआ। उनकी मां का नाम कालसा देवी और पिता का नाम संतोख दास था।
• संत रविदास ने समाज से विभीन्न प्रकार की कुरीतियों जैसे- जातिवाद आदि के बारे में लोगों को जागरूक करने का कार्य किया।
संत रविदास जी की कुछ महत्वपूर्ण रचनाएं इस प्रकार है-
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा,
माटी को पुतरा कैसे नचतु है।
देखै देखै सुनै बोलै दउरिओ फिरतु है।। टेक।।
जब कुछ पावै तब गरबु करतु है। माइआ गई तब रोवनु लगतु है।।
पार गया चाहै सब कोई।
रहि उर वार पार नहीं होई।।
पार कहैं उर वार सूँ पारा, बिन पद परचै भ्रमहि गवारा।