हिंदू धर्म में अक्सर देखा जाता है कि पितृ पक्ष में घर में सबसे बड़ा बेटा या कोई अन्य लड़का ही शामिल होता है। लेकिन अगर परिवार में कोई बेटा नहीं है तो क्या वह पिंडदान या श्राद्ध कर्म नहीं कर सकता? यह सवाल आपके मन में भी कभी न कभी आया होगा। यदि आप इसके पीछे की वजह जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
हिन्दू वर्ष में पितृ पक्ष एक ऐसा समय है, जब लोग तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान कर अपने दिवंगत बुजुर्गों को सम्मान देते है। आश्विन माह के इन 16 दिनों में व्यक्ति अपने पूर्वजों जाने-अनजाने में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगते है। लेकिन श्राद्ध कौन करता है? एक विचारधारा के अनुसार, उस व्यक्ति के परिवार से संबंधित कोई भी व्यक्ति श्राद्ध और पिंडदान कर सकता है। आइये जानते है, गरुड़ पुराण के अनुसार, बेटियां श्राद्ध कर्म कर सकती है या नहीं उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए-
गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि घर में कोई पुत्र न हो तो कोई महिला अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध या पिंडदान कर सकती है। गरुड़ पुराण में स्पष्ट बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति की संतान लड़का न होकर लड़की है तो ऐसी स्थिति में लड़की अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध और पिंडदान कर सकती है।
ऐसा माना जाता है कि यदि कन्याएं सच्चे मन और श्रद्धा से अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध और पिंडदान करती हैं तो उनके पूर्वज इसे स्वीकार करते हैं और उसे आशीर्वाद भी प्रदान करते है। गरुड़ पुराण के ग्यारहवें अध्याय में बताया गया है कि पति या पुत्र नहीं होने पर कौन श्राद्ध कर सकता है। इस अध्याय के अनुसार, बहू या पत्नी (Can Women do Shradh and Pind Daan) को बड़े या छोटे बेटे के अभाव में श्राद्ध करने का अधिकार है। इसमें इकलौती या जयेष्ठ पुत्री भी शामिल है।
वाल्मिकी रामायण के अनुसार, भगवान श्री राम की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी माता सीता ने फल्गु नदी के तट पर पिंडदान किया था। इस कथा के अनुसार, राम अपने भाइयों और सीता के साथ अपने पिता दशरथ का पवित्र संस्कार करने के लिए गया जी गए थे। जब राम-लक्ष्मण नदी में स्नान कर रहे थे, तब सीता किनारे पर बैठ गई और रेत से खेलने लगी। अचानक दशरथ जी रेत से बाहर आए और पिंड दान के बारे में पूछा और कहा कि उन्हें भूख लगी है। सीता ने उनसे अपने बेटों के लौटने का इंतजार करने को कहा ताकि वह उन्हें चावल और तिल से बना पारंपरिक पिंड दे सकें।
तब सीताजी ने श्री दशरथ के कहने पर रेत का पिंड बनाकर फालगु नदी, केतकी के फूल, गाय और वटवृक्ष को साक्षी मानकर राजा दशरथ को पिंडदान दिया। इस कारणवश धर्मशास्त्रों में पुत्रवधू को पिंडदान या श्राद्ध करने का अधिकार मिला।
• महिलाएं श्राद्ध के समय काले तिल से कभी तर्पण न करें।
• श्राद्ध करते समय महिलाओं को सफेद या पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
• इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि केवल शादीशुदा महिलाएं ही श्राद्ध कर सकती है।
डाउनलोड ऐप