हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक, होली, हर साल बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली से ठीक 8 दिन पहले के अंतराल को 'होलाष्टक' कहा जाता है। शास्त्रों में इस दौरान विशेष तौर पर शुभ कार्य करने की मनाही की जाती है। इस दौरान नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए खास सावधानियां बरतनी चाहिए। इस ब्लॉग में हम आपको होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले और न किए जाने वाले कार्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र में होलाष्टक वह समय होता है, जब ग्रह बहुत अशुभ स्थिति में होते है। हर साल फाल्गुन शुक्ल अष्टमी (holashtak start date) से लेकर पूर्णिमा तिथि (holashtak end date) तक होलाष्टक काल रहता है। इस दौरान, भक्त होली की तैयारियों में व्यस्त रहते हैं और मंदिरों में फागोत्सव जैसे धार्मिक उत्सवों का आयोजन करते हैं। हालांकि वेद-पुराणों में इस अवधि में कुछ कार्यों को करने और कुछ से बचने की सलाह दी गई है। तो आइए जानते है-
कहा जाता है की होलाष्टक के दौरान कोई भी नया बिजनेस या प्रोजेक्ट शुरू करना अशुभ प्रभाव दे सकता है। इस अवधि के दौरान शुरू किए गए कार्य या किसी नए प्रयास में व्यक्ति को कष्ट, बाधाएं और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैं।
होलाष्टक को कार, गैजेट या आभूषण आदि खरीदने के लिए शुभ समय नहीं माना जाता है। कहा जाता है इस दौरान खरीदी गई वस्तुओं में बरकत नहीं होती और न ही यह दीर्घकालीक लाभ या समृद्धि प्रदान करता है।
होलाष्टक को अशुभ समय माना जाता है, इसलिए इस दौरान विवाह, मुंडन संस्कार, सगाई या अन्य बड़े समारोहों का आयोजन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, यज्ञ, गृह प्रवेश और पूजा-पाठ जैसी धार्मिक अनुष्ठान करने से भी बचाना चाहिए, वरना व्यक्ति को नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
कहा जाता है की होलाष्टक के दौरान अधिक से अधिक धार्मिक कार्य करने चाहिए और मांसाहारी भोजन करने से खास तौर पर बचना चाहिए। माना जाता है कि इस दौरान मांस-मदिरा और प्याज-लहसुन का सेवन करने से सकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और नेगेटिविटी का संचार होता है।
होलाष्टक गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए एक उपयुक्त समय माना जाता है। इस दौरान लोग आशीर्वाद और खुशहाली की कामना करते हुए भोजन, कपड़े और पैसे इत्यादि दान करते हैं।
होलाष्टक के इन 8 दिनों में कई लोग अपने पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करते हैं, ताकि उनके परिवार में शांति और समृद्धि आए। यह न केवल जीवन में सुख-शांति लाता है, बल्कि पितृ दोष और ग्रह दोषों को भी दूर करता है।
होलाष्टक के दौरान मंदिरों और अनेक धार्मिक स्थलों में विशेष झांकी और भजन उत्सव का आयोजन किया जाता है। ऐसे में आप इन विशेष आयोजन में भाग ले सकते है, साथ ही इस दौरान घर में भगवत कथा, श्रीमद्भागवत का पाठ, रामायण पाठ और सत्संग करना फलदायक माना जाता है।
होली का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्त प्रहलाद की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। होलाष्टक के दौरान भगवान विष्णु, खासकर नरसिंह अवतार की पूजा को बहुत शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रहलाद ने इन्हीं दिनों में भगवान विष्णु की आराधना की जिससे उनके सभी कष्ट एवं बाधाएं दूर हो गई।
माना जाता है कि होलाष्टक (Holashtak 2025) के आठ दिनों के बाद, होलिका दहन के साथ नकारात्मकता खत्म हो जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसके बाद अगले दिन रंगों के उत्सव के रूप में होली का त्यौहार मनाया जाता है। यही कारण है कि होलिका दहन को अशुभता के अंत और समृद्धि और खुशी के आगमन का प्रतीक माना जाता है। आप भी होलाष्टक के दौरान इन कार्यों से बचें और हर्षोल्लास के साथ होली का त्यौहार मनाएं।