देवों के देव महादेव की महिमा अनंत है। चातुर्मास की शुरुआत के साथ ही सावन का पावन महीना भी शुरू हो चुका है। यह समय भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि श्रावण में बाबा महाकाल अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते है। शास्त्रों में भगवान शिव वस्तुओं में रुद्राक्ष का नाम सबसे पहले लिया जाता है। रुद्राक्ष माला धारण करना शिवभक्तों के लिए शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गले में कितने मनकों वाली रुद्राक्ष माला पहननी चाहिए?
तो चलिए आज के ब्लॉग जानते है की गले में कितने मनकों की रुद्राक्ष माला (rudraskha mala) पहनना श्रेष्ठ माना जाता है। आप रुद्राक्ष माला कैसे चुने। साथ ही अंत में, हम बताएंगे कि रुद्राक्ष माला पहनने की सही विधि क्या है।
रुद्राक्ष की दिव्य और अलौकिक शक्तियों से तो हम सभी परिचित है। अनादि शिव के विशेष आशीर्वाद के साथ ही यह माला अपने आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भी प्रसिद्ध हैं। आमतौर पर रुद्राक्ष मनकों को माला के तौर पर पहना जाता है।
जिसका प्रयोग मंत्र जाप के लिए भी किया जाता है।
रुद्राक्ष माला के साथ ही अक्सर शिव भक्त पेंडेंट के रूप में रुद्राक्ष धारण करते है। रुद्राक्ष के यह पेंडेंट जिसे रुद्राक्ष मनका भी कहा जाता है, 1 से 21 मुखी में उपलब्ध है। बता दें की सभी रुद्राक्ष मनको में विभिन्न गुण, आकार, प्रकार और विशेषताएं होती हैं।
रुद्राक्ष को पेंडेंट या माला ले रूप में धारण करना संभव न हो, तो रुद्राक्ष ब्रेसलेट भी एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। यह रुद्राक्ष ब्रेसलेट न केवल स्टाइलिश और खूबसूरत है बल्कि भोलेबाबा के दिव्य आशीर्वाद को भी आपके करीब रखता हैं।
रुद्राक्ष माला में प्रयोग किए जाने यह दिव्य मनके एक आभूषण नहीं है। यह एक आध्यात्मिक साधन है। इसे पहनने से मन शांत होता है। ध्यान में मदद मिलती है। नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाव होता है। रुद्राक्ष मनकों (rudraksha bead significance in hindi) के अनंत लाभ बताएं जाते हैं।
रुद्राक्ष में 1 से 21 मुखी के मनके शामिल होते हैं। शास्त्रों में हर रुद्राक्ष मुखी का अपना एक विशेष महत्व बताया गया है।
आप यहां दी गई मनकों की संख्या के अनुसार रुद्राक्ष माला पहन सकते हैं-
54 मनकों वाली माला प्रतिदिन पहनने के लिए बेहद सुविधाजनक है। यह आकार में भले ही छोटी है, लेकिन अत्याधिक प्रभावशाली मानी जाती है। जो लोग 108 मनकों कि माला नहीं पहनना चाहते, उनके लिए यह बेहतर विकल्प है। यह जातक को सुरक्षा और मानसिक संतुलन में मदद करती है।
माना जाता है कि सिर्फ एक रुद्राक्ष पहनना भी बहुत असरदार होता है। खासकर जब वह एक मुखी रुद्राक्ष हो। इसे पेंडेंट की तरह गले में पहनना आसान होता है। यह साधारण दिखने वाला रुद्राक्ष अपनी अद्भुत शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। यह उन लोगों के लिए सबसे बेहतर विकल्प है, जो पहली बार रुद्राक्ष पहन रहे हैं।
इसे पहनने से जीवन में आत्मविश्वास बढ़ता है और भोलेबाबा की कृपा आकर्षित होती है।
रुद्राक्ष माला आमतौर पर 108 मनकों की होती है। इसमें एक अतिरिक्त मनका होता है, जिसे 'बिंदु' या 'गुरु मनका' कहा जाता है। यह मनका माला को पूर्ण बनाता है। 108 संख्या को वैदिक परंपराओं में पवित्र माना जाता है। यह माला ध्यान और जाप के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
108 मनकों वाली माला ब्रह्मांड और शरीर की ऊर्जा से जुड़ती है। यह 108 मनकों की रुद्राक्ष माला 'ॐ नमः शिवाय' और अन्य शिव मंत्रों का जाप करने के लिए यह एक प्रभावशाली साधन है।
ध्यान रखें की हमेशा सर्टिफाइड रुद्राक्ष का ही चयन करें। शुरुआत के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष सबसे उपयुक्त माना जाता है।
रुद्राक्ष माला को पहनने से पहले कुछ घंटों के लिए इसे साफ पानी या कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। इसके बाद धोकर साफ कपड़े से सुखा लें।
अब रुद्राक्ष माला पर चंदन या विभूति लगाएं। फिर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। आप चाहें तो किसी पंडित या अनुभवी ज्योतिषी का परामर्श भी ले सकते है।
रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार और ब्रह्म मुहूर्त का दिन श्रेष्ठ बताया जाता है। आप माला को गले या कलाई में पहन सकते हैं। ध्यान रखें कि गुरु मनका नीचे कि ओर न रहे। वह ऊपर की ओर होना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने से पहले शरीर और मन दोनों शुद्ध होने चाहिए। कुछ विशेष परिस्थितियों में इसे पहनने से बचें-
• सोते समय
• नहाते समय
• श्मशान या अंतिम संस्कार में
रुद्राक्ष माला (rudraksha mala) पहनने की कोई तय संख्या नहीं है। इसे पुरुष, महिलाएं, बच्चे कोई भी पहन सकता है। ध्यान या साधना के लिए 108 मनकों की माला श्रेष्ठ मानी जाती है। हालांकि 54 मनके या सिंगल रुद्राक्ष मनका भी उतना ही प्रभावशाली हो सकता है। सबसे ज़रूरी बात है कि आप अपनी श्रद्धा के अनुसार माला का चयन करें। आप चाहे तो किसी अनुभवी पंडित या ज्योतिषी से भी परामर्श कर सकते है।