भगवद गीता हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक है। भगवान कृष्ण के द्वारा कहे जाने वाली यह महान ग्रन्थ देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसे सदियों से लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों, धर्मशास्त्रियों और दार्शनिकों सहित अन्य लोगों द्वारा अवतरित किया जाता रहा है। यह एक ऐसा महान धार्मिक ग्रन्थ है जो सम्पूर्ण विश्व में भारतीय सभ्यता और हिंदुता का प्रतिनिधित्व करता है। भगवद गीता में कुल 18 अध्याय है।
भगवद गीता को आमतौर पर गीता के रूप में जाना जाता है और यह मूल रूप से महान भारतीय महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है। गीता के पावन अध्याय योद्धा-राजकुमार अर्जुन और भगवान कृष्ण के बीच एक संवाद है। यह संवाद सभी पांडवों और कौरवों के बीच लड़े जाने वाले कुरुक्षेत्र का है। यहां भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी के रूप में मौजूद थे।
हिन्दू धर्म में गीता को जीवन का उद्धार करने वाला माना गया है। इस सांसारिक दुनिया में ऐसा कोई प्रश्न नहीं है, जिसका जवाब भगवद गीता में न हो। ऐसे में माना जाता है की एक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार भगवद गीता को अवश्य पढ़ना चाहिए। यदि आप भी इन दिनों में भगवद गीता का पाठ शुरू करने जा रहे है, तो एक बार इसे पढ़ने से पहले वाले नियम के बारे में अवश्य जानने चाहिए। यह कुछ नियम इस प्रकार से है-
संस्कृत भाषा भगवत गीता का मूल है। लेकिन व्यक्ति को संस्कृत पढ़ते समय उच्चारण की चूक हो जाती है, ऐसे में श्लोक के साथ-साथ उसका अर्थ भी पढ़ना चाहिए। मार्केट में भिन्न-भिन्न प्रकार की भगवत गीता मिलती है। कुछ किताबों में कुछ किताबें ऐसी होती है जहां केवल श्लोक हैं, लेकिन उनमें कोई अर्थ नहीं है। ऐसे में आपको अंग्रेजी/ हिंदी के सभी संस्कृत श्लोकों के गहरे अर्थ बताने वाली किताब चुननी चाहिए।
कहा जाता है कि गीता पढ़ना अधिक फायदेमंद तब होता है, जब आप इसका अर्थ समझ सके और इसे अपने जीवन में उतार सकें।
वैसे तो आप किसी भी समय भगवद गीता पढ़ सकते है। इसे पढ़ने का कोई भी समय हमारे शास्त्रों में निर्धारित किया गया है। लेकिन इस भगवद गीता का गहन अर्थ समझने के लिए आपके आसपास के वातावरण का शांत होना बहुत ही आवश्यक है। यदि आपके आस-पास कुछ अशांत है, या किसी काम में उलझे हुए है, तो कोशिश करें को भगवद गीता न पढ़े।
गीता का वास्तविक अर्थ समझना है तो इसे पढ़ने के लिए एक संतुलित वातावरण होना कही न कही आवश्यक है।
माना जाता है कि अर्जुन ने जब अपने परिवार के खिलाफ हथियार उठायें, तो वे बहुत डिप्रेस हो गए थे। तब श्री कृष्ण के भगवद गीता वचनों ने उन्हें बहुत हिम्मत दी थी। इसलिए, भगवद गीता को इस संसार की सबसे शक्तिशाली पुस्तक के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि जब भी एक व्यक्ति का खुद पर से विश्वास उठने लगे तो उसे भगवद गीता अवश्य पढ़नी चाहिए। आत्म-संदेह, डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गीता एक बहुत प्रभावशाली उपाय है।
भगवद गीता आत्म-तलाश में मदद करती है। इसलिए, जब भी आपको आत्मविश्वास की कमी हो, भगवद गीता पढ़ें।
हमारे घर पर सभी कार्यों की एक जगह निर्धारित है। जिस प्रकार खाना बनाने के लिए किचन है, उसी प्रकार अध्यात्म के लिए पूजन घर होता है। उसी प्रकार, भगवत गीता पढ़ने का भी एक सही स्थान चुनना चाहिए। यदि आप भगवद गीता पढ़ने के लिए सही समय और स्थान को चुनेंगे, तो आपका ध्यान हमेशा केंद्रित रहेगा। ध्यान केंद्रित करने और आध्यात्म में बढ़ोतरी के ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। सुबह के समय किसी भी प्रकार का बाहरी शोर भी नहीं होता है।
रात को सोने से पहले, यदि आप कोई मोटिवेशनल बुक पढ़ने का शौक रखते है तो आप निश्चित रूप से आप यह समय भी चुन सकते है।
यदि कोई छात्र परीक्षा के लिए अपनी पाठ्यपुस्तकें पढ़ता है, लेकिन मन में सोचता है, " शायद में असफल हो जाऊं", तो वह पढ़ता है, लेकिन बिना किसी विश्वास के, बिना किसी श्रद्धा भाव के। इस ब्रह्मांड में एक व्यक्ति जो भी सोचता है, उस के साथ ज्यादातर वैसा ही होता है। यही कारण है कि सही मानसिकता महत्वपूर्ण है। भगवद्गीता पढ़ते समय भी विश्वास रखें। गीता आपको जीवन बदलने का सबक देगी ऐसे में अदि आप बिना किसी श्रद्धाभाव या विश्वास के भगवद गीता पढ़ते है तो शायद आपको उतना प्रभाव देखने को न मिले।
इस प्रकार यह कुछ महत्वपूर्ण नियम है, जिनका ध्यान एक व्यक्ति को भगवद गीता को पढ़ने से पहले अवश्य रखना चाहिए।
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