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क्यों दुर्योधन की पत्नी ने किया पांडवों से विवाह, जानिए इसके पीछे का रहस्य!

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महाभारत को एक प्रमुख हिन्दू ग्रंथ के रूप में जाना जाता है। महाभारत के समय भगवान विष्णु ने, श्री कृष्ण अवतार में धर्म स्थापना के लिए धरती पर अवतरण लिया था। महाभारत, भारत के सबसे लोकप्रिय और चर्चित ग्रंथों में से एक है। श्री कृष्ण, कर्ण, भीष्मपितामह, गुरु द्रोण, दुर्योधन, गांधारी, अर्जुन समेत महाभारत के मुख्य पात्र है। लेकिन क्या आप जानते है, महाभारत में ऐसे बहुत से किरदार है, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। यहां हम उसी से जुड़ी एक कहानी बताने जा रहे है-

क्यों दुर्योधन की पत्नी ने किया पांडवों से विवाह, जानिए इसके पीछे का रहस्य!

महाभारत के दुर्व्यवहारियों में सबसे पहला नाम मामा शकुनी और दुर्योधन का आता है। लेकिन क्या आप जानते है दुर्योधन की एक पत्नी भी थी, जिसका नाम भानुमती (Duryodhan Wife Bhanumati Story) था। यह वही भानुमति है, जिनके नाम पर एक अत्यधिक लोकप्रिय कहावत है- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। यह कहावत तो हम सभी ने सुनी है, लेकिन इससे पीछे का महत्व आज हम आपको इस कहानी के माध्यम से बताने जा रहे है। तो, इस कहानी को अंत तक अवश्य पढ़िएगा-

About Rani Bhanumati: कौन थी रानी भानुमती?

राजकुमारी भानुमती, कम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी। बचपन से ही रानी भानुमती बहुत ही बुद्धिमान, सुन्दर और आकर्षक थी। जैसे-जैसे राजकुमारी भानुमती बड़ी होने लगी, तो उनके पिता ने उनके विवाह के लिए स्वयंवर का भव्य आयोजन किया। देश के विभिन्न प्रदेशों के राजा महाराजाओं ने इस स्वयंवर में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

इस स्वयंवर में दुर्योधन और उनके मित्र अंग राज कर्ण ने भी हिस्सा लिया। जैसे-जैसे रानी भानुमती स्वयंवर आगे बढ़ने लगी तो वहां दुर्योधन भी आया। लेकिन राजकुमारी ने दुर्योधन का चुनाव नहीं किया और वर माला लेकर आगे कि ओर बढ़ गई।

दुर्योधन को रानी भानुमती की इस बात पर बहुत गुस्सा आया और उसने जबरन ही वर माला अपने गले में डलवा लिया। जबरन वरमाला पहनाने के बाद दुर्योधन ने उस कन्या का हरण कर लिया। इसके बाद वहां मौजूद सभी राजाओं ने इस बात पर पाने विरोध प्रदर्शित किया।

इस स्थिति में दुर्योधन ने वहां पर मौजूद सभी योद्धाओं को चुनौती दी और कहा यदि किसी ने उसका मार्ग रोकने की कोशिश की तो उसे कर्ण से युद्ध करना होगा। कर्ण एक बहुत ही शक्तिशाली योद्धा और महान धनुर्धर था। कर्ण को हराना असंभव था। इसी कारण से, जिस भी राजा ने दुर्योधन को रोकने का प्रयास किय, उस सभी को शिकस्त का सामना करना पड़ा।


जरासंध भी युद्ध में था शामिल

ऐसा माना जाता है कि भानुमती के स्वयंवर में जरासंध भी शामिल थे। जरासंध ने दुर्योधन को रोकने का प्रयास किया, जिस कारण उसका युद्ध कर्ण के साथ हुआ, माना जाता है कि कर्ण और जरासंध में यह युद्ध पुरे 21 दिनों तक चला। जिसके बाद इस युद्ध में कर्ण विजयी रहा और जरासंध ने खुश होकर कर्ण को मालिनी प्रदेश का राज्य दे दिया। यह पहली बार था, जब जरासंध को हार का सामना करना पड़ा था।


शादी के बाद आए हस्तिनापुर

जबरन विवाह के बाद दुर्योधन भानुमती को हस्तिनापुर ले आया। जिसके बाद भीष्मपितामह ने इस बात पर नारजगी जताई। जिसके बाद दुर्योधन ने पलट के जवाब दिया, की उन्होंने भी अपने सौतेले भाइयों के लिए अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का हरण कर के लाए थे। तब भानुमती ने भी इस विवाह पर अपनी स्वीकृति दी और दुर्योधन से विवाह कर लिया।


भानुमती की थी दो संतानें

विवाह के बाद भानुमति ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इन संतानो में से एक पुत्र था और दूसरी पुत्री थी। दुर्योधन के पुत्र का नाम लक्ष्मण था, वही पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के समय, पुत्र लक्ष्मण को अभिमन्यु ने मार दिया था। इसके अलावा उनकी पुत्री लक्ष्मणा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब से हुआ था।


दुर्योधन की मृत्यु के बाद भानुमति का क्या हुआ?

महाभारत की कथा के अनुसार, युद्ध के दौरान में भानुमति के पति दुर्योधन और बेटे लक्ष्मण का वध हो गया था। माना जाता है कि जब युद्ध खत्म हो गया, तब पांडवों ने इस बारे में विचार-विमश किया और यह सोचा की अपने वंश को आगे बढ़ाने भानुमती से विवाह किया जाए। उस समय अर्जुन से भानुमती का विवाह सम्पन्न हुआ और अर्जुन ने भी इस विवाह को स्वीकार कर लिया। जिसके बाद वह भी पांडवों के परिवार का एक हिस्सा बनी।

ऐसी बहुत सी किवंदितिया बताई जाती है, जिस कारण से ऐसी मान्यता बनी की भानुमती ने एक नहीं, दो विवाह किए थे। इस प्रकार से भानुमती के बिना मेल के परिवार के लिए "भानुमति का कुनबा" जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ। वही भानुमती के परिवार का हिस्सा बेमेल सदस्यों से मिल कर बना था। जिस कारण से बेमेल ईट-पत्थरों को जोड़ कर बनाई गयी, किसी भी वस्तु के लिए "कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा" कहावत का उपयोग किया जाता है।

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