भारत के लोकप्रिय त्यौहारों में से एक दीपवाली का यह पर्व देश ही नहीं विश्वभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साल 2022 में दिवाली का यह पर्व अक्टूबर महीने की 24 तारीख को मनाया जाएगा। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ ही गणेश पूजा का भी विशेष महत्व बताया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ हमेशा गणेश जी का पूजन क्यों किया जाता है?
दीपावली के दिन अधिकांश हिन्दू घरों में लक्ष्मी जी के साथ गणपति जी का पूजन किया जाता है, हालंकि ऐसा किए जाने के पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते है। ऐसे में आज हम इस पावन उत्सव के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन के महत्व के बारे में जानकारी देने जा रहे है, तो आइये जानते है-
रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश को विग्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पहल गौरी पुत्र गणेश का स्मरण किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि वे मार्ग में आने वाली सभी परेशानियों को दूर कर कार्य को सिद्ध कर देते है। इसलिए लक्ष्मी पूजन को बिना किसी रूकावट के संपन्न करने के लिए लक्ष्मी जी के साथ गणपति जी का पूजन किया जाता है।
भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय होने का वरदान प्राप्त है। यह वरदान स्वयं उनके पिता देवादिदेव महादेव ने दिया था। इस वरदान के अनुसार किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। माना जाता है की गणेश जी के पूजन के बाद ही अन्य देवी-देवताओं का पूजन स्वीकार्य होता है।
श्री गणेश प्रथम पूजनीय देवता के साथ ही सबसे बुद्धिमान देवताओं में से एक है। जहां एक ओर महालक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है, वही गणेश जी को विद्या व बुद्धि प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। व्यक्ति के जीवन में धन के साथ ही विवेक का होना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। बुद्धि के बिना धन का होना व्यर्थ समान ही है। इसलिए दिवाली पूजन के समय लक्ष्मी जी के साथ श्री गणेश का पूजन किया जाता है।
यहां दिए गए यह कुछ तथ्य बताते है की क्यों लक्ष्मी जी के साथ गौरी नंदन गणेश का पूजन ज़रूरी होता है। दिवाली के दिन आप लक्ष्मी गणेश मूर्ति के साथ ही महालक्ष्मी पूजन यंत्र का प्रयोग कर सकते है। दीपावली के दिन इस यंत्र का पूजन करने से निश्चित ही आपको शुभ फल प्रदान होंगे।
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