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Aarti in Hinduism: सनातन धर्म में क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है आरती? जानें धार्मिक महत्व और आरती के महत्वपूर्ण नियम

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हिंदू धर्म में आरती करना एक महत्वपूर्ण और व्यापक प्रतीकात्मक अनुष्ठान है। यह हिंदू पूजा में एक विशेष स्थान रखता है और अक्सर मंदिरों में, धार्मिक समारोहों में और घरों में दैनिक प्रार्थनाओं में भी किया जाता है। "आरती" शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द "अरात्रिका" से हुई है, जिसका अर्थ है प्रकाश या लौ की प्रस्तावना।

Aarti in Hinduism: सनातन धर्म में क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है आरती?  जानें धार्मिक महत्व और आरती के महत्वपूर्ण नियम

परमेश्वर की आराधना या उनका पूजन करना अच्छा कर्म माना जाता है। पूजन के माध्यम से व्यक्ति धार्मिक और सात्विक होता है और बुरे कामों से दूर होता है। लेकिन आपका ये पूजन पूर्ण तभी माना जाता है, जब आप अंत में आरती कर इसे संपन्न करते है।

आपको बता दें कि शास्त्रों में आरती करने की सही प्रक्रिया का भी उल्लेख है। माना जाता है कि सही तरीके से आरती करने से न सिर्फ अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है, बल्कि पूजन के दौरान हुई किसी भी भूल से भी मुक्ति मिलती है। धार्मिक ग्रंथों में आरती संस्कृत के एक श्लोक के माध्यम से आरती के बारे में उल्लेख किया गया है। श्लोक में कहा गया है कि पूजन करने के बाद आरती लेने से बिना मंत्र और क्रिया रहित पूजन की पूर्णता मिलती है।


Aarti ke Niyam : आरती करने के महत्वपूर्ण नियम क्या है?

मंत्र उच्चारण

अपने इष्ट आरा के गुण कीर्तन के साथ-साथ उनके मंत्र भी आरती में प्रयोग किए जाते हैं।भक्ति और उत्साह से भगवान के मंत्रो का जाप करने से आध्यात्मिक अनुभव में बढ़ोत्तरी होती है।


उचित दीपक का चयन

शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को उचित दीपक के साथ ही भगवान की आरती करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दीपक 1, 5, 7 या विषम संख्या में बत्तियों से जलाना चाहिए।हिन्दू घरों में मुख्य रूप से एक या पंच दीये से आरती की जाती है।


उचित दिशा का चयन

आरती करते समय, आमतौर पर दीपक या धूप को दक्षिणावर्त दिशा में देवता के आसपास घुमाएँ। यह अज्ञान से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का प्रतीक है।

इसके अलावा यदि दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर होगी तो आयु बढ़ेगी, यदि पश्चिम की ओर होगी तो दुःख होगा, यदि दक्षिण की ओर होगी तो हानि होगी और यदि दीपक की लौ उत्तर की ओर होगी तो आर्थिक लाभ होता है।


हिन्दू धर्म में क्या है आरती करने का महत्व?

हिंदू धर्म में आरती करने के कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:

देवताओं की पूजा

हिंदू धर्म में, आरती विभिन्न देवताओं के प्रति सम्मान और पूजा दिखाने का एक तरीका है। यह भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी लक्ष्मी और कई अन्य देवी-देवताओं की दिव्य उपस्थिति का आह्वान और सम्मान करने का एक साधन है।

शुद्धिकरण

आरती अग्नि और प्रकाश का उपयोग करती है। देवता के सामने जलता हुआ दीपक या मोमबत्ती की 'लौ' उपासक के मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि प्रकाश अंधकार और अज्ञान को दूर करने में सहायक होता है।

भक्ति की अभिव्यक्ति

जब कोई व्यक्ति आरती करता है तो यह देवता के प्रति उसकी गहरी भक्ति, प्रेम और सम्मान की अभिव्यक्ति है। यह स्वयं को परमात्मा के प्रति समर्पित करने, आशीर्वाद मांगने और देवता की कृपा और उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।

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