श्रावण माह का आगमन मानसून के साथ होता है। इस समय प्रकृति का हरा-भरा और जीवंत रूप देखने को मिलता है। यह महीना भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। सनातन धर्म में सावन के दौरान हरे रंग के कपड़े, चूड़ियां और बिंदियां बेहद खास माने जाते हैं। खासकर सुहागिन महिलाएं इस महीने में विशेष व्रत, पूजा और श्रृंगार करती हैं। इस दौरान वे अपने पति की लंबी उम्र की भी कामना करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन में हरी चूड़ियां पहनने के फायदे क्या हैं? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं-
सावन में हरे रंग की चूड़ियां पहनने की परंपरा बहुत पुरानी है। हरे रंग को लेकर कई आध्यात्मिक, भावनात्मक और वैज्ञानिक फायदे बताए जाते हैं। जहां एक और श्रावण के प्रत्येक सोमवार के दिन अविवाहित महिलाएं भोलेबाबा से अच्छे वर की कामना करती हैं। वहीं, प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखकर वे अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
श्रावण महीने में महिलाएं मां पार्वती को सुहाग की वस्तुएं अर्पित करती हैं। इसके बाद वे खुद भी हरी चूड़ियां पहनती हैं। हरा रंग सौहार्द और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है की महिलाओं के हरे रंग की चूड़ियां पहनने वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है। साथ ही घर-परिवार में भी प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। यह परंपरा दिखने में साधारण लग सकती है, लेकिन इसके पीछे गहरे भाव छिपे हैं।
इसके अलावा हरी चूड़ियां पहनने के कुछ और खास फायदे भी माने जाते हैं, जो इस प्रकार हैं:
सावन में भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि हरा रंग देवी को बेहद प्रिय है। यही कारण है की महिलाएं इस माह में हरी चूड़ियां पहनती हैं। इससे देवी प्रसन्न होती हैं और उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
रंगों की ऊर्जा से जुड़ी चिकित्सा पद्धति बताती है कि हरा रंग मन को शांत करता है। यह तनाव, गुस्सा और घबराहट जैसे इमोशंस को कंट्रोल करता है। लाहा जाता है कि महिलाएं इसे पहनने पर मानसिक रूप से अधिक स्थिर और सहज महसूस करती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, हरा रंग शरीर में ठंडक पैदा करता है। खासकर मानसून के समय, जब शरीर में बीमारियां बढ़ सकता है। ऐसे में हरे रंग (green bangles benefits in hindi) के कपड़े या चूड़ियां पहनना भावनात्मक संतुलन और शारीरिक आराम देने में मदद करता है।
हिंदू परंपरा में हरी चूड़ियां पहनना खास महत्व रखता है। माना जाता है कि इससे स्त्रियों को अपने पति के लिए सौभाग्य मिलता है। हरी चूड़ियां पति की लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की निशानी मानी जाती हैं।
सावन का महीना बरसात का समय होता है। इस दौरान चारों ओर हरियाली फैल जाती है। हरा रंग प्रकृति, नवजीवन और उर्वरता का प्रतीक है। जब सुहागिन महिलाएं हरी चूड़ियां पहनती हैं, वे अपनी जिंदगी में नई ऊर्जा, प्रेम और खुशहाली की कामना करती हैं।
हरी चूड़ियों की हल्की खनक शरीर में रक्त संचार(sawan me hari churiyan pahanne ke fayde) को बढ़ावा देती है। यह केवल साज-श्रृंगार सजावट नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक उपचार भी है। उसी प्रकार हरे रंग की साड़ियां भी परंपरा और अनुग्रह का प्रतीक मानी जाती हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हरा रंग बुध ग्रह से जुड़ा है। बुध ग्रह बुद्धि और वाणी का प्रतीक माना जाता है। सावन के दौरान हरा रंग पहनना मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है। यह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
इसलिए, सावन में हरा रंग पहनना शुभ और फायदेमंद माना जाता है।
हिंदू संस्कृति में हरा रंग उर्वरता का संकेत माना जाता है। लेकिन यह सिर्फ शारीरिक उर्वरता नहीं है। इसमें रचनात्मक सोच, पोषण की क्षमता और सपनों को साकार करने की शक्ति भी शामिल है। चाहे महिला विवाहित हो या अविवाहित, हरा रंग जीवन को संवारने और उसे आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
प्राचीन काल से ही सावन और हरे रंग का गहरा महत्व बताया जाता है। सावन में आने वाले तीज-त्यौहार के अवसर पर अधिकतर महिलाओं को हरे रंग के चूड़ियां (Green Bangles benefits in Sawan) या साड़ी पहने हुए देखा जाता है। यह रंग परंपरा प्रकृति, आंतरिक शक्ति और देवी शक्ति से जुड़ी होती है। यही कारण है की हरे रंग को श्रावण मास में इतना महत्व दिया जाता है।