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इस कारण भगवान भोलेनाथ को इतना प्रिय है सावन मास!

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सनातन धर्म में सावन के महीने को बहुत अधिक महत्व बताया जाता हैं। इस महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती हैं। साल 2022 में यह श्रावण 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा हैं।

इस कारण भगवान भोलेनाथ को इतना प्रिय है सावन मास!

सनातन धर्म में सावन के महीने को बहुत अधिक महत्व बताया जाता हैं। इस महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती हैं। साल 2022 में यह श्रावण 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा हैं।

भारत में सावन के माह में अनेकों तीज-त्योहार आदि मनाएं जाते हैं। इस पूरे माह में बहुत से धार्मिक कार्य किए जाते हैं। खास तौर पर सावन के सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। प्राचीन काल से ही बताया जाता है की सावन का महीना भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय होता हैं। लेकिन क्या आपने सोचा हैं की सब महीनों में से यही महीना ही उन्हे क्यूं पसंद हैं? यदि आप भी इसके पीछे के कारण नहीं जानते हैं तो आइए जानते हैं


माता पार्वती से हुआ था विवाह

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी के पुत्रों ने भगवान शिव से यह सवाल किया की आपको सावन का माह इतना प्रिय क्यों हैं? तो उन्होने बताया की देवी पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए बहुत कठिन तपस्या की थी, जिसके बाद सावन में ही उन दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ था। इसलिए उन्हें यह महीना इतना प्रिय हैं।


भगवान शिव गए थे ससुराल

ऐसा माना जाता हैं की सावन के महीने में भगवान शंकर धरती पर अवतरित हुए थे और अपने ससुराल यानि माता पार्वती के घर गए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक द्वारा किया गया था। अतः कहा जाता हैं की हर साल भोलेनाथ सावन के माह में अपने ससुराल आते हैं। यही कारण हैं की उन्हे यह महीना इतना प्रिय हैं।


मार्कण्डेय ऋषि किया था तप

कुछ प्रचलित कथाओं के अनुसार ये बताया जाता हैं कि मरकंदु ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने दीर्घायु प्राप्त करने के लिए श्रावण मास में ही भगवान शिव को अपने कठोर तप से प्रसन्न किया था। ऐसा माना जाता हैं की उसकी इस तपस्या और शक्तियों ने यमराज को भी नतमस्तक कर दिया था।


सावन में शिव जी को जल चढ़ाने का महत्व-

1. धार्मिक कथाओं के अनुसार यह बताया जाता हैं की जब समुन्द्र मंथन हुआ था तो उस दौरान जो विष निकला था, जिसे भगवान शिव ने पीया जिसके बाद से ही वे नीलकंठ कहलाए जाने लगें। बताया जाता हैं की जब विष के कारण उनके शरीर के तापमान बहुत तेजी से बढ़ने लगा तो समस्त देवताओं ने उसे शांत करने के लिए भगवान शिव पर ठंडा जल डाला। तभी से भगवान शिव का जल से अभिषेक करना शुभ माना जाता हैं।

2. भगवान शिव के सभी रूपों, अवतारों आदि का वर्णन करने वाले ग्रंथ महापुराण में भी शिव जी पर जल चढाने का उल्लेख किया गया हैं। शिवपुराण में बताया गया है की भगवान शिव स्वयं जल हैं, इसलिए किसी भी भक्त के द्वारा उन्हें जल चढ़ाकर उनकी आराधना करना सर्वोत्तम फल प्रदान करता हैं।

3. उपरोक्त कारणों के अलावा सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने के पीछे एक कारण यह भी बताया जाता हैं की महादेव के मस्तक पर मां गंगा ओर चंद्रमा विराजमान हैं और दोनों का ही संबंध जल से हैं। यहीं कारण है की पूरे मन से भगवान शिव पर जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

सावन के सोमवार का व्रत ज़्यादातर महिलाओं और अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता हैं। धार्मिक महत्व रखने के साथ ही यह माह समस्त देश में हरियाली और खुशहाली भी लाता हैं। भगवान भोले शंकर को समर्पित इस महीने में रुद्राक्ष धारण करना भी बहुत शुभ माना जाता हैं। सावन माह में श्रद्धापूर्वक किए गए भगवान शिव की पूजा-अर्चना से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। धर्मसार की ओर से इस पावन महीने की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।

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