आज की रफ़्तार भरी ज़िन्दगी से मनुष्य ने अपनी जीवनशैली को ख़राब कर लिया है। आज के ज़माने में 90 प्रतिशत लोग अपनी सेहत से ज़्यादा पैसे कमाने को प्राथमिकता देने लगे हैं। वे यह भूल जाते हैं की यदि सेहत ही ठीक नहीं होगी तो काम कैसे करेंगे। इसी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी ने ही मनुष्य को दिल की बिमारी जैसे हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन आदि बीमारियां दी हैं। प्राचीन ग्रंथों में इसका एक बहुत ही सधारण सा उपाय बताया गया है - रुद्राक्ष।
शिव पुराण के अनुसार, शिव जी बहुत दिनों से ध्यान में थे। जब उन्होंने बहुत दिनों के बाद अपनी आखें खोली तब सूरज की तेज़ किरणों के कारन उनकी आखों में से आंसू आए और वह धरती पे गिरा। जहाँ वह आंसू गिरा वहां रुद्राक्ष का पेड़ बन गया। रूद्र का मतलब शिव और अक्ष का मतलब आंसू, यानी रुद्राक्ष।
प्राचीन काल से ही लोग रुद्राक्ष की महिमा जानते हैं और उसे धारण करते आये हैं। रुद्राक्ष बीमारियों का उपचार और वैज्ञानिक गुणों में निपुण है। यह ना केवल हमारे शरीर के शरीर, आत्मा और मन को संतुलित करता है, बल्कि इसे इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिकों ने भी अपने अनुसंधान में यह माना है की रुद्राक्ष हमारे मस्तिक्ष के लिए फायदेमंद है।
साइंस के अनुसार रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पॉवर पायी जाती है जो हमारे शरीर पर अच्छा प्रभाव डालती है। रुद्राक्ष के और भी बहुत से फायदे हैं और इनमें से कुछ जो वैज्ञानिक रूप से भी जांचे जा चुके हैं आज हम उन्ही फायदों के बारे में जानेंगे।
हमारे शरीर का हर अंग चाहे वो दिल हो या मस्तिष्क, रक्त से जुड़ा होता है। यदि किसी भी अंग में रक्त न पहुंचे या कम पहुंचे तो उस अंग में खराबी आ जाती है। ऐसा तब होता है जब खराब जीवनशैली के कारण मनुष्य को दिल की बिमारी होती है और रक्त परिसंचरण सही से नहीं होता है। ऐसे में रुद्राक्ष धारण करने से आपके दिल के रोग की समस्या ठीक होने लगती है और इसी के साथ रक्त परिसंचरण भी सही बना रहता है। दिल के दौरे और ब्लड प्रेशर के लिए यह सबसे सरल उपचार है। इसे अवश्य आज़माएँ।
ऊपर हमने देखा की रुद्राक्ष हमारे शरीर के रक्त परिसंचरण में मदद करता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें डायनामिक पोलेरिटी होती है जिससे यह एक तरह के चुंबक का काम करता है। हमारे शरीर में जो भी अवरूद्ध धमनियां होती हैं वे रक्त में अशुद्धियाँ होती हैं उनकी वजह से होती हैं। यह अशुद्धियाँ या तो नकारात्मक चार्ज या फिर सकारात्मक चार्ज की होती हैं। रुद्राक्ष जो की डायनामिक पोलेरिटी का होता है वो दोनों ही तरह की अशुद्धियों को ख़तम करने में मदद करता है जिससे हमारे शरीर में रक्त परिसंचरण सही बना रहे।
जो व्यक्ति अपने मस्तिष्क और इन्द्रियों पे काबू पा लेता है वही एक सिद्ध व्यक्ति कहलाता है। आपने बहुत से लोगों को देखा होगा जो कठिन से कठिन समय में भी शांत रहते हैं। ऐसे लोग किसी भी परशानी का हल आसानी से ढूंढ लेते हैं। इसका एक कारण है अपने मस्तिष्क पर काबू रखना। रुद्राक्ष की माला पहनना आपको आपके मस्तिष्क पे काबू पाने में सहायता करता है। रुद्राक्ष भी कई तरीके के होते हैं जिन्हे हम रुद्राक्ष के मुखों के अनुसार देखते हैं। 1 मुखी रुद्राक्ष की माला पहनने से व्यक्ति धैर्यवान बनता है, वहीँ 4 और 6 मुखी माला से बुद्धिमान और 9 मुखी माला से विश्वस्त व्यक्ति बनता है।
चलिए अब थोड़ा सा विज्ञान भी समझ लेते हैं। जब भी हम तनावग्रस्त स्तिथि में होते हैं तब हमारा शरीर एक तरह की नकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है जो की हमारे शरीर और ख़ास तौर पर हमारे दिल के लिए हानिकारक होती है। इस नकारात्मक ऊर्जा को यदि ख़तम ना किया जाए तो यह आपके दिल, शरीर एवं मस्तिष्क पर बुरा असर करती है। वैज्ञानिकों के अध्ययन की मानें तो रुद्राक्ष में डायइलेक्ट्रिक गुण होते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा सोखने में सक्षम होते हैं। रुद्राक्ष की माला धारण करने से यह आपके शरीर से निकली नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है और आपके शरीर, दिल और मस्तिष्क को संतुलित रखने में सहायता करता है।
कई बड़े बूढ़े और विद्वान् लोग रुद्राक्ष को रात भर पानी में भिगो कर रखते हैं और सुबह उसका पानी पीते हैं। ऐसा माना जाता है की रुद्राक्ष में एंटीइंफ्लेमेट्री और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो की पानी में भोगो कर रखने से पानी में आ जाते हैं। एंटीइंफ्लेमेट्री और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरा यह पानी पीने से कई तरह के रोगो से मुक्ति मिलती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सुधरती है।
अब तो आप रुद्राक्ष के स्वस्थ्य से जुड़े 5 लाभ (Health Benefits of Rudraksha) जान ही गए होंगे और आपको यह भी ज्ञात हो गया होगा की रुद्राक्ष हमारे स्वस्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसके उपयोग से आपके शरीर की कई तरह की बीमारियां ख़तम होती हैं और साथ ही आपके व्यक्तित्व को भी सुधारती है। यदि आप रुद्राक्ष धारण करने की सोच रहे हैं तो उससे पहले एक विशषज्ञ की सलाह ज़रूर लें क्योंकि शिव महापुराण में एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 38 मुखी रुद्राक्ष तक का उल्लेख है। आपके लिए कौनसा रुद्राक्ष लाभकारी होगा यह जानकार ही रुद्राक्ष की माला धारण करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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