धार्मिक संस्कृति को संजोए, आस्था के पर्व के अद्भुत दृश्य को प्रदर्शित करता, कुंभ का यह मेला सभी दिलों में एक अलग स्थान रखता है। देश भर के साधु- संन्यासियों के साथ ही दुनियाभर में व्यापत सभी तीर्थयात्रियों के लिए कुंभ स्नान का बहुत महत्व बताया जाता है। आपको बता दें, कुंभ मेले का आयोजन चार अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है।
कुंभ के इस मेले में भारी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए आते है। कहा जाता है की कुंभ मेले में स्नान करने से मन शुद्ध होता है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। कुंभ मेला हर तीन साल में एक-एक कर चार अलग शहरों, हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। वही अर्ध कुंभ मेले का आयोजन हर छः साल में हरिद्वार और प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित किया जाता है।
कुंभ मेले के उत्सव के दौरान मंदिरों की भव्य सजावट की जाती है। विश्वभर में प्रसिद्ध यह गौरवशाली कुंभ मेला 55 दिनों तक चलता है और इस मेले में त्रिवेणी संगम (तीन पवित्र नदियों का संगम) करने की परंपरा बताई जाती है। साल 2023 (Kumbh Mela Date 2023) में इस अर्ध कुंभ मेले की शुरुआत 6 जनवरी से होने जा रही है, जिसका समापन महाशिवरात्रि के दिन होगा। आइये जानते इस पवित्र कुंभ मेले की तिथि व समय क्या है, साथ ही यह भी जानेंगे की इस मेले का इतिहास क्या है-
अर्ध कुंभ मेला का प्रांरभ पौष पूर्णिमा के दिन, 6 जनवरी, 2023 से शुरू होगा और 18 फरवरी, 2023 को महा शिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। यह कुंभ मेला प्रयागराज की त्रिवेणी संगम स्थल पर आयोजित होगा। इस बारे में मिल रही जानकारी के अनुसार, ऐसा माना जा रहा है की इस मेले की निरीक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन किया है। मेले के दौरान स्नान कार्यक्रम इस प्रकार है-
6 जनवरी 2023 | पौष पूर्णिमा |
14 जनवरी 2023 | मकर संक्रांति |
21 जनवरी 2023 | मौनी अमावस्या |
26 जनवरी 2023 | बसंत पंचमी |
5 फरवरी 2023 | माघ पूर्णिमा |
18 फरवरी 2023 | महा शिवरात्रि |
वेद-पुराणों में कुंभ के इस मेले का इतिहास लगभग 850 साल पुराना माना जाता है। जहां एक ओर इस मेले के शुरुआत का श्रेय आदि शंकराचार्य को दिया जाता है तो वही दूसरी ओर कुछ कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के साथ हुई थी।
ऐसा कहा जाता है, जब समुंद्र के दौरान अमृत कलश प्राप्त हुआ तो वह इलाहबाद, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार के कुछ स्थानों पर गिरा। यही कारण है कि हर चार सालों में इन चार स्थानों पर कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। वही कुछ दस्तावेजो में 525 BC (बीसी) के समय भी इस मेले के आरंभ के बारे उल्लेख किया गया है।
कुंभ का यह माघ मेला प्रयागराज शहर में गंगा यमुना और सरस्वती के किनारे लगता है। दुनियाभर से बड़ी संख्या में लोग इस मेले में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेने आते है। इतना ही नहीं सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने भी प्रयागराज को तीर्थों का राजा बताया है। कहा जाता है की संगम के किनारे हर साल जनवरी के माह में माघ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
डाउनलोड ऐप