भारत ही नहीं विश्वभर में जून महीने की 21 तारीख किसी त्यौहार से कम नहीं है, क्योंकि इस दिन अंतराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2022) मनाया जाता है। योग का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। योग के माध्यम से किसी भी रोग को खत्म किया जा सकता है, इतना ही नहीं लंबे समय से योगाभ्यास कर रहे लोगों को अपने स्वास्थ्य में इसके चमत्कारी प्रभाव देखने को मिले है।
योग की अगर बात की जाए तो इसकी मूलतः शुरुआत भारत में ही हई थी। आज इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे भारत में योग की शुरआत हुई और 21 जून को ही अंतराष्ट्रीय योग दिवस क्यों मनाया जाता है?
प्राचीन काल से ही योग की परम्परा चली आ रही है। भारत में सबसे पहले योगी यानि आदियोगी भगवान शिव को माना जाता है, बताया जाता है की वो भगवान शिव ही है जिन्होंने सबसे पहले योग विद्या की उत्पत्ति की थी और प्रथम योग गुरु बनकर योग की शिक्षा-दीक्षा दी थी।
भगवान भोलेनाथ के बाद ही ऋषि-मुनियों ने अपने जीवन में योग की शुरआत की थी। भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग की शिक्षा दी थी, और इन्ही सप्तऋषियों में से एक थे अगस्त्य ऋषि। अगस्त्य ऋषि ने भारत के सभी उपमहाद्वीप का भ्रमण किया और योग के माध्यम से जीवन शैली व्यतीत करने की संस्कृति का विकास किया। ऐसा माना जाता है की बाद में श्री कृष्ण, महावीर और गौतम बुद्ध ने भी योग को अपने तरीके से आगे बढ़ाया।
योग की शुरुआत सबसे पहले भारत में हुई थी, जिसके बाद यह विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया। जहां योग के बारे में बात की जाती है, वहां पतंजलि का नाम मुख्य रूप से लिया जाता है। आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों? आपको बता दें, पतंजलि ही वे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को अंधविश्वास और आस्था से परे एक अलग पहचान दिलाई थी।
पतंजलि ने न सिर्फ सभी योग विद्याओं का सही वर्गीकरण किया बल्कि विभीन्न संस्थानों और आश्रमों में भी योग को बढ़ावा दिया, जहां पहले सिर्फ राजयोग की शिक्षा को ही महत्ता दी जाती थी। भारत ने आज योग के रूप में पूरी दुनिया को एक अमूल्य तोहफा दिया है, जो आज विश्व के भिन्न- भिन्न हिस्सों में फैला हुआ है।
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 के दिन संयुक्त महासभा में योग दिवस मनाने के लिए प्रस्ताव रखा, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। एक साल के अंतराल के बाद 2015 में इस प्रस्ताव को पारित किया गया और उसके साथ ही 21 जून, 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
लेकिन एक सवाल जो अक्सर सभी के मन में आता है वो यह है की आखिर योग दिवस मनाने के लिए 21 जून की तारीख को ही क्यों चुना गया? दरअसल भारतीय वैदिक गणना के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और दक्षिणायन का यह समय आध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने में बहुत कल्याणकारक होता है। इसके साथ ही माना जाता है कि 21 जून को साल का सबसे बडा दिन होता है, इस दिन सूर्योंदय जल्दी हो जाता है और सूर्यास्त देर से होता है। योग भी व्यक्ति को लंबा जीवन प्रदान करता है, इसलिए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जीवन में हर व्यक्ति को योग अवश्य करना चाहिए और यह योग केवल योग दिवस के दिन ही नहीं बल्कि नियमित तौर पर अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। योग से न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक समस्याओं से भी निजात पाया जा सकता है। भारत के प्रधानमंत्री के साथ ही बहुत सी जानी मानी हस्तियां है जिन्होंने अपने जीवन में योग को अपनाया है। इतना ही नहीं कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए भी योग एक ढाल बनकर सामने आया है। इसलिए आप भी जीवन में योग अपनाएं और एक स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करें।
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