अच्छे स्वास्थ, अधिक धन, विद्या, आदि जैसे आशीर्वाद के लिए हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के अलग-अलग रूप से पूजा की जाती है। भगवान पर विश्वास किसी भी व्यक्ति को हिम्मत प्रदान करता है जिससे वह किसी भी परिस्तिथि का सामना आसानी से कर सकता है। ऐसी ही मान्यता शीतला माता के बारे में भी है।
किसी भी देवी-देवताओं की पूजा करना फल स्वरुप उनका आशीर्वाद ग्रहण करने हेतु होती है। कहा जाता है माता शीतला संक्रमण रोगों से मुक्त करती है और इसिलए हम इनकी पूजा करते हैं। शीतला माता की पूजा हर वर्ष चैत्र कृष्ण अष्टमी को की जाती है जिसे हम शीतला अष्टमी या बासोड़ा भी कहते हैं। 2023 में शीतला अष्टमी या बासोड़ा का पर्व 15 मार्च को मनाया जायेगा।
जो भी माता शीतला की पूजा करते हैं उनके घर में इस दिन चूल्हा नहीं जलता है, अर्थार्थ कोई भी भोजन नहीं पकाया जाता है। लोग एक दिन पहले ही अधिक भोजन बना कर रख देते हैं और शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करने के बाद उस बासी भोजन को ग्रहण करते हैं। इसलिए इस पर्व को बासोड़ा भी कहा जाता है। परंतु क्यों हम दुसरे सभी देवी-देवताओं को ताज़ा बने भोजन का भोग लगाते हैं और शीतला माता को बासी खाने का? आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शीतला माता को ठंडा या बासी भोजन ही पसंद है और इसलिए बासोड़ा या शीतला अष्टमी के दिन ठंडा या बासी भोजन खाने की परंपरा है। जहाँ एक ओर हम सभी देवी-देवताओं को ताज़ा भोजन का भोग लगाते हैं वहीँ दूसरी ओर हम शीतला माता को ठंडे या बासी (एक दिन पहले बना हुआ) भोजन का भोग लगते हैं। हिन्दू धर्म में शायद यही ऐसा पर्व है जहाँ कोई भी गरम पकवान ना ही बनाये जाते हैं और ना ही खाये जाते हैं।
जब बात आती है बासी खाना खाने की तो ठंडे परांठो से अच्छा क्या हो सकता है। ठंडे परांठे, दही, आचार, आदि ही इस दिन के पकवान होते हैं। इसके अलावा मीठा पूआ, बैंगन की सब्ज़ी, बूंदी या मिर्ची का रायता, भुजिए, आलू की सब्ज़ी चाहे सूखे या दही के, नमकीन, ठंडी खीर भरवा मिर्ची, पूरियां, आदि भी एक दिन पहले बनाके रखे जा सकते हैं।
कहते हैं भक्ति उतनी ही करनी चाहिए जितना आपका शरीर साथ दे। ठंडा या बासी खाने से कुछ लोगों को एसिडिटी की समस्या होती है। वे लोग चाहे तो ठंडा भोजन ताल सकते हैं। अब चूँकि ठंडे परांठे खाने में कठोर हो सकते हैं, बुज़ुर्ग लोगों को यह परांठे या पूरियां खाने में तकलीफ हो सकती है। यदि ऐसा है तो उनको गरम और ताज़ा भोजन ही दें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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