जय शिव शम्भू, जय भोलेनाथ! महाशिवरात्रि के पर्व पर भोले बाबा को समर्पित इन शब्दों की गूंज हर ओर सुनाई देगी। जगत के स्वामी भगवान भोलेनाथ त्रिकालदर्शी है। धार्मिक ग्रंथों में अपने सरल और भोले स्वाभाव के लिए प्रसिद्ध, महादेव एक बेल पत्र पर ही अपने भक्तों की मदद करने के लिए दौड़े चले आते है। सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से वे निश्चित ही आपके बड़े से बड़े दुःख एवं कष्टों को हर लेते है।
महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर लोग भोले बाबा की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत से उपाय करते है। इस दिन कोई गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करता है, तो कोई विधि विधान से देवी पार्वती का पूजन करता है। इन सभी उपायों के साथ ही आप महाशिवरात्रि (mahashivrati 2023) के दिन श्री शिव चालीसा (shiv chalisa) और भगवान शिव से जुड़े अन्य प्रकार के पाठ एवं भजन गा एवं सुन सकते है। ऐसे में महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर आज के इस ब्लॉग में हम कैलाशपति भगवान शंकर से संबंधित कुछ भजन, चालीसा एवं शिव की आरती के बारे में बताने जा रहे है, तो इसे अंत तक अवश्य पढ़े-
श्री शिव चालीसा में भगवान शिव को समर्पित 40 छंद है, इन 40 चौपाइयों में भगवान शिव की महिमा और अलौकिक देवीय शक्तियों का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन से शिव चालीसा (Shiv Chalis) का पाठ करता है, वह न केवल अपने सभी कार्यो में सफल होता है, बल्कि भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त करता है। महाशिवरात्रि के दिन के श्री शिव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
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भोलेबाबा की आरती "ॐ जय शिव ओमकारा" (shiv ji ki aarti) भगवान शिव के व्यापक और अद्भुत स्वरूप का बोध कराती है। शिव भक्तों के द्वारा हर सोमवार, त्रयोदशी और मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आरती पढ़ी व सुनी जाती है। आप भी महाशिवरात्रि के इस पावन पर भगवान शिव की यह आरती गा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है।
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रामचरितमानस से लिया गया, भगवान शिव को समर्पित श्री शिव रुद्राष्टकम (Shri Rudrashtakam) को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति ध्यान पूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करें, तो उसे शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु "श्री शिव रुद्राष्टकम" का पाठ सभी को ज़रूर करना चाहिए।
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महाशिवरात्रि के दिन जितना हो सके, उतना भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। शिव जी का पाठ पूजन करने के बाद आप भगवान शिव को समर्पित भजन गा सकते है और इसे बहुत से डिजिटल माध्यम से सुन भी सकते है। भोलेबाबा को समर्पित इन भजनों की ध्वनि ओर का वातावरण शुद्ध हो जाता है और एक पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है।
महाकाल भगवान शिव को देवताओं और दानव दोनों के द्वारा पूजा जाता है। इन राक्षसों में से एक, रावण भी भगवान शिव का बहुत बड़ा उपासक था। रावण ने ही ने ही शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram) की रचना की थी। शिव तांडव स्तोत्र में ने 17 श्लोक है, इन सभी श्लोको में भगवान शंकर की की स्तुति गाई है।
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आशुतोष शशाँक शेखर (Ashutosh Shashank Shekhar), शिव शंकर के लोकप्रिय भजनों में से एक है। यह भगवान शिव की एक मनमोहक स्तुति है, जिसके शुरुआत के बोल इस प्रकार से है-
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा
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'सुबह सुबह ले शिव का नाम (Subah Subah Le Shiv Ka Naam) शिव आयेंगे तेरे काम ' एक बहुत ही सुंदर भजन है। इस भजन का प्रात: काल श्रवण करने से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश हो जाता है। " शिव महिमा" नामक एक एल्बम से लिया गया यह भजन, गुलशन कुमार और हरिहरन के द्वारा गाया गया है।
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"शिव कैलाशों के वासी" (Shiv Kailasho ke Vasi) भगवान शिव सबसे प्रसिद्ध भजनों में से एक है। यह एक प्रकार का लोक गीत है जिसे हिंदी भजन के सबसे लोकप्रिय गायक हंसराज रघुवंशी के द्वारा गाया जाता है। इस भजन में भगवान शिव की महिमा का बहुत ही अध्भुत वर्णन किया गया है।
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