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10 Shocking facts about Ravana in Hindi | रावण के बारे में चौंकाने वाले 10 तथ्य जो कोई नहीं जानता

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बुराई पर अच्छाई का पर्व, भगवान राम के विजय का पर्व, रावण के वध का पर्व, न जानें कितने ही पर्वों को समाहित किए हुए दशहरे का यह त्यौहार अपने साथ ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाएं जाने वाला यह त्यौहार रावण के पाप व दुराचार पर भगवान राम की अच्छाई व सरलता की जीत के रूप में मनाया जाता है।

10 Shocking facts about Ravana in Hindi | रावण के बारे में चौंकाने वाले 10 तथ्य जो कोई नहीं जानता

दशहरे का मुख्य संबंध भगवान राम, माता सीता और लंकापति रावण से है। आपने बहुत सी पौराणिक कथाओं में रामचन्द्रजी और माता सीता के बारे में अनेकों बार पढ़ा व सुना होगा। राम व सीता जी का उल्लेख सभी ओर है, लेकिन ग्रंथो में रावण के बारे में विस्तारपूर्वक नहीं बताया गया है। ऐसे में दशहरे के अवसर पर हम आपको रावण से जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बताने जा रहे है, जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना या पढ़ा होगा।

आइये जानते है, रावण से जुड़े इन 10 रोचक और अनसुने तथ्यों के बारे में-


ब्रह्माजी का पड़पौत्र था रावण

यह तो हम सभी जानते है की रावण एक ब्राह्मण का पुत्र था, लेकिन क्या आप जानते है रावण ब्रह्माजी के पड़पौत्र थे। दरअसल रावण प्रजापति पुलत्स्य पौत्र थे, जिन्हे ब्रह्मा जी के दस पुत्रो में से एक माना जाता है। इस प्रकार रावण ब्रह्माजी के पड़पौत्र के रूप में भी जाने जाते है।


रावण ने रची थी रावण संहिता

ज्योतिष और तंत्र विद्या से जुड़ी एक पुस्तक रावण संहिता को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन रावण ने स्वयं ही रावण संहिता की रचना की थी। रावण को न सिर्फ एक बहुत बड़े पंडित के रूप में जाना जाता है, बल्कि वह एक बहुत बड़े विद्वान भी थे, जिन्हे बहुत से महान ग्रंथों के बारे में जानकारी प्राप्त थी।


वीणा बजाने महारथी थे रावण

ज्यादातर लोग रावण को एक क्रूर और आसुरी प्रकति वाले व्यक्ति के रूप में जानते है। लेकिन आपको बता दे, रावण हर क्षेत्र में बड़ा गुणवान और ज्ञानी था। वह सभी प्रकार के शास्त्रों का ज्ञाता तो था ही, साथ ही उसे वीणा और संगीत के क्षेत्र में भी अनेकों उपलब्धियां प्राप्त थी। माना जाता है की रावण की वीणा की मधुर तान सुनने के लिए देवतागण भी पृथ्वी लोक पर आ जाते थे।


रावण द्वारा शनिदेव को बनाया गया था बंदी

ऐसा माना जाता है की मेघनाथ के जन्म के समय रावण ने सभी नव ग्रहों को ग्यारवे स्थान पर रुकने को कहा ताकि वह अमर हो सके। शनि देव ने इस बात पर विरोध प्रकट किया तो रावण ने उन्हें बंदी बना लिया था। इसके साथ ही रावण ने शनिदेव पर आक्रमण भी कर दिया।


बाली द्वारा एक बार पराजित हुआ था रावण

आपको सुनकर शायद थोड़े अचंबित हो, लेकिन रावण एक बार बाली द्वारा पहले भी पराजित हो चूका था, जिसकी कहानी इस प्रकार है। एक दिन, बाली हमेशा सूर्य देव की पूजा कर रहा था, तब रावण ने भगवान शिव द्वारा प्राप्त आशीर्वाद के अंहकार के चलते बाली को चुनौती दे दी। बाली ने शुरू में कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन रावण द्वारा ज्यादा परेशान करने पर उसने रावण के सिर को अपनी बुझा में दबा लिया और उसे लेकर हवा में उड़ने लगा। जिसके बाद पुरे छः महीने बाद बाली ने रावण को छोड़ा।


पूर्वजन्म में भगवान विष्णु के द्वारपाल थे रावण

पौराणिक कथाओं के अनुसार पूर्वजन्म में रावण और कुंभकर्ण दोनों ही भगवान विष्णु के द्वारपाल थे। इन दोनों के ही एक ऋषि के द्वारा श्राप मिला था, जिसकी वजह से ही उनका जन्म राक्षस कुल में हुआ था।


महा-ब्राह्मण था रावण

रावण एक दुराचारी राक्षस था, यह तो हम सभी जानते है। लेकिन क्या आप जानते है की रावण एक बहुत बड़ा ब्राह्मण और महा विद्वान था। इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान राम ने लक्ष्मण जी से किया था। 64 कलाओं में निपुण रावण असुरों में सबसे अधिक बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ही सभी प्रकार के धर्म-ग्रंथों के बारे में जानकारी होने के कारण उसे महाज्ञानी भी कहा जाता था।


महान वैज्ञानिक और खोजकर्ता था रावण

रावण अपने समय में एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक और खोजकर्ता के रूप भी जाता था। माना जाता है की रावण ने ऐसी बहुत की चीज़ों की संचरना की थी, जिनका उस काल में होना संभव नहीं था। इसके साथ रावण के पास हवा में उड़ने वाला एक पुष्पक विमान भी था, जो उस समय केवल देवताओं के पास ही हुआ करता था।


उस दौर की स्वर्ण नगरी थी लंका

ऐसा माना जाता है की विश्वकर्मा जी ने सोने की लंका का निर्माण किया था। इस लंका पर रावण के सौतले भाई कुबेर का राज था, जिसके बाद रावण ने तपस्या से लौटने के बाद हासिल कर लिया था। बताया जाता है रावण के राज्य में सबसे गरीब व्यक्ति का घर भी सोने से बनवाया गया था।


रावण को कई जगह माना जाता है पूजनीय

रावण एक अहंकारी, दुष्ट और दुराचारी राजा था, ऐसा हम सभी मानते है। लेकिन आपको बता दें, दक्षिणी भारत के बहुत से हिस्सों में रावण को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है। महाराष्ट्र के कानपुर में रावण को समर्पित एक कैलाश मन्दिर है, जिसके कपाट साल में एक बार दशहरे के दिन खुलते है। इसके अलावा बताया जाता है की आंध्रप्रदेश राज्य के कुछ हिस्सों में भी रावण की पूजा की जाती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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